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आस्था एजुकेशन सोसाइटी के खिलाफ आरोपों की विस्तृत जांच की ज़रूरत है: मप्र उच्च न्यायालय

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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने आस्था एजुकेशन सोसाइटी के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ियों के आरोपों की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। यह सोसाइटी एक मेडिकल कॉलेज समेत कई शिक्षण संस्थानों का संचालन करती है।

नौ अक्टूबर को दिए अपने आदेश में, न्यायाधीश विशाल मिश्रा ने कहा कि सोसाइटी की ऑडिट रिपोर्ट में 200 करोड़ रुपये की आर्थिक गड़बड़ियों का संकेत मिला है और इन हालात में याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती।

सोसाइटी ने पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत में अर्जी दायर की थी।
अदालत ने कहा कि प्राथमिकी जाने-माने ऑडिटर्स द्वारा किए गए ऑडिट पर आधारित थी, जिनकी रिपोर्ट सरकार अलग-अलग स्तर पर मानती है।

आदेश में कहा गया है कि रिपोर्ट में साफ तौर पर एक बड़े आर्थिक गबन का इशारा मिला है और ईओडब्ल्यू से विस्तृत जांच की ज़रूरत है।
सोसाइटी के पदाधिकारियों श्वेता चौकसे, जय नारायण चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता और अनुपम चौकसे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि आस्था सोसाइटी को सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती है।

याचिका में दावा किया गया है कि प्रतिवादी अनिल संघवी इसके पहले सदस्य हैं और उन्होंने पहले ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज की थी लेकिन जांच एजेंसी ने उसे रद्द कर दिया था।
सोसाइटी ने कहा कि मौजूदा मामले में भी आरोप वही है।

ईओडब्ल्यू ने बिना नोटिस जारी किए या सफाई का कोई मौका दिए प्रकरण दर्ज कर लिया।
याचिकाकर्ता ने यह भी डर जताया कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान, ईओडब्ल्यू ने अदालत के सामने केस डायरी पेश की और दलील दी कि जांच शुरुआती चरण में है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने याचिका रद्द कर दी।


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