भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने देश में विदेशी कंपनियों की ओर से बैंकों का अधिग्रहण किए जाने के मुद्दे पर जयराम रमेश की टिप्पणी के बाद रविवार (19 अक्टूबर, 2025) को कांग्रेस पर निशाना साधा. भाजपा ने कहा कि स्वतंत्र भारत में सबसे खराब बैंकिंग संकट का दौर लाने वाली पार्टी किसी को भी उपदेश देने की स्थिति में नहीं है.
कांग्रेस के संचार मामलों के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विदेशी कंपनियों को धीरे-धीरे भारतीय बैंकों का अधिग्रहण करने की अनुमति देना अविवेकपूर्ण है, क्योंकि इससे काफी जोखिम पैदा होता है. उन्होंने याद दिलाया कि जनसंघ ने जुलाई 1969 में विदेशी बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं करने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना की थी.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने क्या की थी टिप्पणी?
राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘सबसे पहले, लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण सिंगापुर के DBS समूह ने किया. दूसरा, कैथोलिक सीरियन बैंक का अधिग्रहण कनाडा के फेयरफैक्स ने किया. तीसरा, जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने YES बैंक का अधिग्रहण किया. अब खबर आ रही है कि दुबई की एमिरेट्स NBD RBL बैंक का अधिग्रहण कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘और निश्चित रूप से भारत में किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक का पहला पूर्ण निजीकरण इसी वित्त वर्ष में पूरा होने की उम्मीद है. यह IDBI बैंक की बिक्री है.’
UPA सरकार में भारतीय बैंक महज राजनीतिक खिलौने- मालवीय
रमेश पर पलटवार करते हुए भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा, ‘उस व्यक्ति से बैंकिंग विवेक पर व्याख्यान सुनना थोड़ा अजीब है, जिसकी पार्टी ने भारत की बैंकिंग प्रणाली के पतन की पटकथा लिखी.’ उन्होंने कहा, ‘UPA के तहत भारतीय बैंक राजनीतिक खिलौने बनकर रह गए थे, खराब ऋणों में भारी वृद्धि हुई, घोटाले बढ़ गए और दोहरी बैलेंस शीट के संकट ने पूरे वित्तीय क्षेत्र को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.’
मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने व्यवस्था में सड़न पैदा की है. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि आपके प्रशंसक रघुराम राजन ने भी पुष्टि की है कि बैंकों को परेशान करने वाले खराब ऋण बड़े पैमाने पर UPA काल के दौरान मंजूर किए गए थे.’ उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने स्वतंत्र भारत में सबसे खराब बैंकिंग संकट की अध्यक्षता की, वह किसी को भी विवेक पर उपदेश देने की स्थिति में नहीं है.
कांग्रेस नेता की टिप्पणियां खोखली बयानबाजी- मालवीय
भाजपा नेता ने इस मुद्दे पर रमेश की टिप्पणियों को खोखली बयानबाजी करार दिया और नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उल्लेखनीय परिवर्तन को रेखांकित करने के लिए सरकारी आंकड़ों का हवाला दिया.
उन्होंने एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा, ‘जब 2014-15 में UPA सरकार सत्ता से बाहर हुई, तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध NPA 2.15 लाख करोड़ रुपये (3.9 प्रतिशत) था और प्रावधान कवरेज महज 46 परसेंट थी. आज, एक दशक के अथक सफाई और सुधार के बाद ये आंकड़े भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उल्लेखनीय बदलाव की कहानी बयां करते हैं.’
RBI की निगरानी में हुए सभी बदलाव- मालवीय
मालवीय ने कहा, ‘शुद्ध NPA घटकर मात्र 0.73 लाख करोड़ रुपये (0.76 प्रतिशत) रह गया. पूंजी पर्याप्तता 11.45 परसेंट से बढ़कर 15.55 परसेंट हो गई. प्रावधान कवरेज 46 परसेंट से दोगुना होकर 93 परसेंट हो गई. कुल शुद्ध लाभ 0.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.41 लाख करोड़ रुपये हो गया.’ उन्होंने कहा, ‘यह बदलाव भारतीय रिजर्व बैंक के सख्त नियमन, मजबूत प्रशासनिक ढांचे, IBC-संचालित सुधार और गहन संरचनात्मक सुधारों का परिणाम है. आज भारतीय बैंक मजबूत, लाभदायक और विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं, जो कांग्रेस की छोड़ी गई अव्यवस्था के बिलकुल विपरीत है.’
उन्होंने कहा, ‘एक और विरूपण को स्पष्ट कर दें कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के निवेश और संचालन RBI की सख्त निगरानी के अधीन हैं और वित्तीय क्षेत्र के वैश्वीकरण के लिए भारत के संतुलित दृष्टिकोण के अंतर्गत आते हैं. ये भारत की बैंकिंग प्रणाली में वैश्विक विश्वास के संकेत हैं, ऐसा विश्वास जिसकी आपके कार्यकाल में कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, जब विदेशी निवेशक देश छोड़कर भाग रहे थे.’
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