नई दिल्ली। केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के पिछले एक वर्ष में हुए कार्यों और उपलब्धियों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष में मंत्रालय ने न केवल विकास की दृष्टि से नए आयाम स्थापित किए हैं, बल्कि शासन-प्रणाली, निवेश, और क्षेत्रीय एकीकरण के क्षेत्र में भी ऐतिहासिक उपलब्धियाँ दर्ज की हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प के तहत पूर्वोत्तर भारत का ग्रोथ इंजन बन गया है। केन्द्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि पूर्वोत्तर ने पिछले 1 दशक में 9-11 प्रतिशत सीएजीआर की जीडीपी वृद्धि दर्ज की है जो कि अतुलनीय और अभूतपूर्व है।
पूर्वोत्तर को विश्व पटल पर स्थापित करने की दिशा में उठाए गए अग्रणी कदम
केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने पिछले वर्ष अष्टलक्ष्मी महोत्सव, नॉर्थ ईस्ट बैंकर्स कॉन्क्लेव और राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट जैसे आयोजन कर पूर्वोत्तर को वैश्विक निवेश और सांस्कृतिक पहचान के केंद्र के रूप में प्रस्तुत किया। मई 2025 में आयोजित राइजिंग नॉर्थ ईस्ट समिट (मई 2025) में ₹4.48 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए, जो क्षेत्र के लिए अब तक का सर्वाधिक निवेश है। इसके अलावा दिसंबर 2025 में आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव के दौरान ₹2,326 करोड़ के व्यावसायिक समझौते हुए और 320 से अधिक शिल्पकारों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए। वहीं दिसंबर 2024 में हुए बैंकर्स कॉन्क्लेव में बैंकों ने 51 नई शाखाएँ खोलने और डिजिटल बैंकिंग को सुदृढ़ करने की घोषणा की।
सिंधिया ने बताया कि मंत्रालय ने दो विशेष युवा विनिमय कार्यक्रम प्रारंभ किए हैं। एनई स्पार्क्स कार्यक्रम के तहत अब तक पूर्वोत्तर के कुल 800 विद्यार्थियों को इसरो जैसे संस्थानों का भ्रमण और अनुसंधान के लिए भेजा गया है। इसके अलावा अब एक अष्टलक्ष्मी दर्शन कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है जिसके तहत देशभर के छात्र पूर्वोत्तर के विद्यालयों में 14 दिवसीय अध्ययन भ्रमण के लिए आएंगे।
सुशासन और संस्थागत सुधार से पूर्वोत्तर बनेगा भारत का ग्रोथ इंजनः सिंधिया
सिंधिया ने बताया कि पहली बार मुख्यमंत्रियों की अध्यक्षता में आठ सेक्टोरल हाई-लेवल टास्क फोर्स (HLTFs) गठित की गई हैं, जो पर्यटन, कृषि, निवेश, खेल और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में अंतरराज्यीय सहयोग और नीति समन्वय सुनिश्चित कर रही हैं। साथ ही, मंत्रालय ने इंटर-मिनिस्टीरियल फसिलिटेशन सिस्टम विकसित किया है, जिसके माध्यम से शिलॉन्ग एयरपोर्ट, कैलाशहर एयरपोर्ट और सिक्किम हाइवे जैसे परियोजनाओं में लंबित कार्यों को तेज़ी से सुलझाया गया है।
91 प्रतिशत परियोजनाएं हुईं क्रियान्वित
सिंधिया ने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने परियोजनाओं की डिजिटल ट्रैकिंग आरंभ की है। ऐसा पहली बार हुआ है 620 परियोजनाओं में से 599 का थर्ड पार्टी निरीक्षण पूरा हुआ है और 245 पूरी हो चुकी परियोजनाओं में से 223 परियोजनाएं संचालित हो चुकी हैं। जो दिखाता है कि यह दर 91 प्रतिशत है।
अंतिम सीमा नहीं, अब भारत का प्रवेश द्वार बन रहा है पूर्वोत्तरः सिंधिया
केन्द्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पिछले 11 वर्षों में पूर्वोत्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि जहाँ एक दशक पहले पूर्वोत्तर के 8 राज्यों में मात्र 9 हवाई अड्डे थे और सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश में एक भी हवाई अड्डा नहीं था, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 17 हो गई है, जिनमें से केवल अरुणाचल प्रदेश में ही 4 हवाई अड्डे हैं। रेल संपर्क के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हो रही है, वर्ष 2029 तक पूर्वोत्तर के सभी राज्य रेल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे। साथ ही, कालादान मल्टीमॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और इंडिया–म्यांमार–थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के माध्यम से क्षेत्र को दक्षिण-पूर्व एशिया और विश्व से जोड़ने की दिशा में भी तीव्र गति से कार्य हो रहा है। पूर्वोत्तर अब भारत की अंतिम सीमा नहीं, बल्कि ‘भारत का प्रवेशद्वार’ बनकर उभर रहा है।
इस वर्ष पूर्वोत्तर में हुआ हुआ रिकॉर्ड बजट उपयोग और व्यय में वृद्धि
प्रेस वार्ता में केन्द्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2024–25 में मंत्रालय ने ₹3,447 करोड़ का ऐतिहासिक व्यय दर्ज किया, जो पिछले तीन वर्षों में 209% की वृद्धि दर्शाता है। अब 2025-26 में इसे बढ़ाकर 5500 करोड़ रुपए का लक्ष्य तय किया गया है। नियमित साप्ताहिक समीक्षा और बेहतर निगरानी तंत्र ने मंत्रालय की कार्यक्षमता को नई गति दी है।
सिंधिया ने कहा पूर्वोत्तर क्षेत्र केवल भौगोलिक नहीं, भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है। हमारी प्रतिबद्धता है कि विकास के हर चरण में पूर्वोत्तर अग्रणी भूमिका में रहे चाहे वह निवेश हो, सांस्कृतिक संवर्धन हो या सुशासन का सशक्त उदाहरण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी का स्वरूप माना है और यह अष्टलक्ष्मी अब भारत का ग्रोथ इंजन बनने की तेजी से अग्रसर हो रही है।
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