Home » Blog » देशभर में 8.82 लाख निष्पादन याचिकाएं लंबित, सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को बताया ‘निराशाजनक और चिंताजनक’

देशभर में 8.82 लाख निष्पादन याचिकाएं लंबित, सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को बताया ‘निराशाजनक और चिंताजनक’

Facebook
Twitter
WhatsApp


उच्चतम न्यायालय ने देश भर की विभिन्न अदालतों में 8.82 लाख से अधिक निष्पादन याचिकाओं (एग्जीक्यूशन पिटिशन) के लंबित रहने को ‘बेहद निराशाजनक’ और ‘चिंताजनक’ करार दिया है. निष्पादन याचिकाएं किसी डिक्री धारक द्वारा सिविल विवाद में पारित न्यायालय के आदेशों को लागू करने की मांग करते हुए दायर की गई याचिकाएं होती हैं.

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने छह मार्च के आदेश के अनुपालन की समीक्षा करते हुए यह टिप्पणी की. उच्चतम न्यायालय ने छह मार्च के अपने इस आदेश में सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया था कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिविल न्यायालयों को निर्देश दें कि वे छह महीने के भीतर निष्पादन याचिकाओं पर निर्णय लें. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि उसके निर्देश के अनुसार, पीठासीन अधिकारी पीठासीन कार्य में किसी भी प्रकार की देरी के लिए उत्तरदायी होंगे.

8,82,578 याचिकाएं लंबित, आंकड़े ‘बेहद निराशाजनक’
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘हमें जो आंकड़े मिले हैं, वे बेहद निराशाजनक हैं. देश भर में लंबित निष्पादन याचिकाओं के आंकड़े चिंताजनक हैं. आज की तारीख में देश भर में 8,82,578 निष्पादन याचिकाएं लंबित हैं.’ पीठ ने कहा कि छह मार्च से पिछले छह महीनों में कुल 3,38,685 निष्पादन याचिकाओं पर निर्णय लिया गया और उनका निपटारा किया गया.

न्याय में देरी को बताया ‘न्याय का उपहास’
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने 16 अक्टूबर के अपने आदेश में कहा, ‘जैसा कि हमारे मुख्य निर्णय में कहा गया है, यदि डिक्री पारित होने के बाद डिक्री को निष्पादित करने में वर्षों लगेंगे, तो इसका कोई मतलब नहीं है और यह न्याय का उपहास होगा.’ उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह एक बार फिर सभी उच्च न्यायालयों से अनुरोध कर रहा है कि वे कुछ प्रक्रिया विकसित करें और अपने-अपने जिला न्यायपालिका को आज की तारीख में लंबित निष्पादन याचिकाओं के प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए मार्गदर्शन प्रदान करें. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दुर्भाग्यवश, कर्नाटक उच्च न्यायालय इस संबंध में आवश्यक आंकड़े उपलब्ध कराने में विफल रहा है.





Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टॉप स्टोरी

ज़रूर पढ़ें

Verified by MonsterInsights