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पाकिस्तान का साथ देना तुर्की और अजरबैजान को पड़ा भारी, भारतीयों ने लिया ऐसा फैसला, समझा दी हैसियत

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तुर्की और अजरबैजान के पाकिस्तान के पक्ष में सार्वजनिक समर्थन के बाद, भारतीय पर्यटकों ने इन दोनों देशों की यात्रा से मुंह मोड़ लिया है. इसका सीधा असर पर्यटन और ट्रैवल बुकिंग में भारी गिरावट के रूप में सामने आया है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद दोनों देशों में भारतीय यात्रियों की संख्या में बड़ी कमी आई है, जो एक तरह से जनभावना पर आधारित ट्रैवल बॉयकॉट में बदल गई.

पर्यटकों की संख्या में रिकॉर्ड गिरावट
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मई से अगस्त के बीच अजरबैजान में भारतीय यात्रियों की संख्या 56% कम हो गई. इस अवधि में सिर्फ 44,000 भारतीयों ने वहां यात्रा की, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा करीब 1 लाख था. अगस्त में तो केवल 6,032 भारतीय पहुंचे – जो 72% की वार्षिक गिरावट है. तुर्की में भी यही रुझान दिखा. मई से अगस्त के बीच भारतीय यात्रियों की संख्या घटकर 90,400 रह गई, जो पिछले साल 1.36 लाख थी. जनवरी-अगस्त 2025 की कुल अवधि में यात्रियों की संख्या 1.74 लाख रही, जबकि 2024 में यही आंकड़ा 3.31 लाख था.

ट्रैवल इंडस्ट्री ने दिखाई सख्ती, बुकिंग पर रोक
भारतीय ऑनलाइन ट्रैवल एजेंसियों- जैसे मेक माइ ट्रिप, इजी माय ट्रिप,इक्जिगो और कोक्स & किंग्स् ने तुर्की और अजरबैजान की लिस्टिंग हटाई या गैर-जरूरी यात्रा से बचने की सलाह दी. 14 मई को MakeMyTrip ने कहा, ‘पिछले एक हफ्ते में भारतीय यात्रियों ने गहरी भावना व्यक्त की है – अजरबैजान और तुर्की के लिए बुकिंग 60% घटी है, जबकि कैंसिलेशन 250% बढ़े हैं. हम अपने राष्ट्र और सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान में इस भावना का समर्थन करते हैं.’

खाली उड़ानें
DGCA के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत से अजरबैजान के लिए 80,567 यात्री सीधे उड़ान भरे थे, जो 2023 के 28,899 से लगभग तीन गुना था. तुर्की के लिए भी सीधी उड़ानों में 5.05 लाख यात्रियों की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की गई थी, लेकिन अब एयरलाइंस और टूर ऑपरेटर लोड फैक्टर में तेज गिरावट की रिपोर्ट दे रहे हैं. अजरबैजान के लिए यह झटका इसलिए बड़ा है क्योंकि उसने भारत को अपना ‘मुख्य लक्ष्य बाजार’ घोषित किया था. वहीं, तुर्की को भी भारत से आने वाले यात्रियों में ठहराव का सामना करना पड़ रहा है.





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