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‘भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने पर कर रहा फोकस’, बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार (17 अक्टूबर, 2025) को कहा कि भारत घरेलू रक्षा उत्पादन को 100 प्रतिशत तक ले जाने की दिशा में काम कर रहा है, क्योंकि विदेशी सैन्य आपूर्ति पर निर्भरता रणनीतिक कमजोरी उत्पन्न करती है. उन्होंने तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA)-एमके1ए की तीसरी उत्पादन लाइन और प्रशिक्षण जेट HTT-40 की दूसरी विनिर्माण सुविधा का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही.

महाराष्ट्र के नासिक में सिंह ने अपने संबोधन में कहा, ‘एक समय था जब देश अपनी रक्षा जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था और लगभग 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे. लेकिन आज स्थिति बदल गई है, अब भारत 65 प्रतिशत विनिर्माण अपनी धरती पर कर रहा है. बहुत जल्द ही हम अपने घरेलू विनिर्माण को 100 प्रतिशत तक ले जाएंगे.’

2029 तक रक्षा निर्यात के लिए 50,000 करोड़ रुपये का रखा लक्ष्य- राजनाथ

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के तहत हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

सिंह ने कहा कि रक्षा निर्यात एक दशक पहले 1,000 करोड़ रुपये से भी कम था, लेकिन अब यह बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा, ‘हमने अब 2029 तक घरेलू रक्षा विनिर्माण में तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है.’

आत्मनिर्भरता के बिना हम कभी पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते- राजनाथ

रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल किए बिना भारत कभी सुरक्षित नहीं रह सकता. उन्होंने कहा, ‘जब हम 2014 में सत्ता में आए, तो हमें एहसास हुआ कि आत्मनिर्भरता के बिना हम कभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते हैं. शुरुआत में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें सबसे बड़ी थीं सीमित रक्षा तैयारी और आयात पर निर्भरता.’

सिंह ने कहा कि सब कुछ सरकारी उद्यमों तक सीमित था और निजी क्षेत्र की उत्पादन में सहायक तंत्र में कोई महत्वपूर्ण भागीदारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि रक्षा नियोजन, उन्नत तकनीक और इनोवेशन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था, जिसने देश को महत्वपूर्ण उपकरणों और अत्याधुनिक प्रणालियों के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर किया, जिससे लागत बढ़ी और रणनीतिक कमजोरियां उत्पन्न हुईं.

नई सोच और सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए किया प्रोत्साहित- राजनाथ

सिंह ने कहा, ‘इस चुनौती ने नई सोच और सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. इसके परिणाम आज दिखाई दे रहे हैं. हमने न केवल आयात पर निर्भरता कम की, बल्कि स्वदेशीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी मजबूत किया. हम जो कुछ भी विदेश से खरीदते थे, अब हम उसका घरेलू स्तर पर निर्माण कर रहे हैं, चाहे लड़ाकू विमान हों, मिसाइलें हों, इंजन हों या इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियां हों.’

HAL खुद को सीमित न करे- राजनाथ

आधुनिक युद्ध की निरंतर बदली प्रकृति पर राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि समय के साथ आगे रहना जरूरी है क्योंकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर युद्ध, ड्रोन प्रणाली और अगली पीढ़ी के विमान भविष्य को आकार दे रहे हैं और युद्ध कई सीमाओं पर लड़े जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘भारत को इस नई दौड़ में हमेशा आगे रहना चाहिए, पीछे नहीं रहना चाहिए. HAL को प्रेरित किया गया कि वह अगली पीढ़ी के विमानों, मानवरहित प्रणालियों और नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए और खुद को LCA तेजस या HTT-40 तक सीमित ना रखे.’

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