अमेरिका के व्हाइट हाउस में हर साल भारतीय त्योहार दिवाली मनाई जाती है. साल 2024 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिवाली का पर्व मनाया था. इस बार व्हाइट हाउस में दिवाली पर्व मनाए जाने की अटकलों के बीच मंगलवार (21 अक्टूबर, 2025) को BCCI उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कुछ ऐसा ट्वीट किया, जिसने कुछ समय के लिए हलचल पैदा कर दी.
व्हाइट हाउस में इस साल दिवाली पर्व नहीं मनाए जाने की बात कहते हुए राजीव शुक्ला ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में लिखा, ‘इस बार व्हाइट हाउस में दिवाली का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ. ज्यादातर राष्ट्रपति इसे आयोजित करते रहे हैं, क्या ट्रंप भारत से इतने नाराज हैं?’
राजीव शुक्ला ने डिलीट किया ‘ट्वीट’
जैसे ही यह मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया, ट्रंप ने कुछ देर पहले ओवल ऑफिस में दिवाली के अवसर पर एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्य शामिल हुए और राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं दीं.
व्हाइट हाउस में दिवाली कार्यक्रम के बाद, राजीव शुक्ला ने ट्विटर पर अपना ट्वीट वापस ले लिया और एक नई पोस्ट में कहा, ‘सुना है उन्होंने अभी-अभी ओवल ऑफिस में दिवाली मनाई है. अच्छा हुआ, मेरा ट्वीट वापस लिया जाता है.’
भारत संग अच्छे रिलेशन चाहता है अमेरिका
व्हाइट हाउस में दिवाली समारोह के न होने को लेकर उठे सवालों के बावजूद, इस कार्यक्रम के आयोजन ने यह साफ कर दिया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ अपने संबंधों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं. साथ ही डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ अपने रिश्तों को बेहतर रखना चाहते हैं.
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रिश्ते हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच व्यापार और व्यापारिक नीतियों के चलते तनाव देखने को मिला है. इस तनाव का प्रमुख कारण टैक्स टैरिफ (Tax Tariffs) और व्यापारिक विवाद रहा है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में बढ़ी दूरियां
इन मुद्दों ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान. जहां एक ओर अमेरिका अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट नीति’ के तहत व्यापारिक संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहा है, वहीं भारत अपनी स्वतंत्र व्यापार नीति पर जोर दे रहा है. ऐसे में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में गड़बड़ी निश्चित रूप से बनी रहेगी, जब तक कि दोनों देशों के बीच एक संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौता नहीं होता.
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