Home » Blog » ‘राहुल जी, आपके पिता ने कमीशन के चक्कर में बोइंग से प्लेन…’, एअर इंडिया विमान खरीद पर निशिकांत ने लगाए आरोप

‘राहुल जी, आपके पिता ने कमीशन के चक्कर में बोइंग से प्लेन…’, एअर इंडिया विमान खरीद पर निशिकांत ने लगाए आरोप

Facebook
Twitter
WhatsApp


बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार (18 अक्टूबर, 2025) को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर 1977 में इंडियन एयरलाइंस के विमान खरीद मामले में अनुचित प्रभाव डालने का आरोप लगाया. दुबे ने कहा कि उन्होंने प्रमुख सरकारी निकायों के विरोध के बावजूद एयरबस को चुनने के बजाय व्यक्तिगत कमीशन के लिए बोइंग के साथ सौदा कराने में हस्तक्षेप किया.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दुबे ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा और उनके पिता की कथित संलिप्तता पर सवाल उठाया. उन्होंने लिखा, “राहुल गांधी जी, क्या 1977 में कमीशन के चक्कर में आपके पिता ने एयरबस की बजाय एयर इंडिया से तीन बोइंग विमान खरीदवाए थे? क्या आपके पिता बिना किसी अधिकार के अवैध रूप से बैठकों में शामिल होते थे? क्या कमीशन के लिए योजना आयोग और वित्त मंत्रालय का विरोध आपके परिवार पर लागू नहीं होता था?”

क्या है पूरा मामला
यह विवाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल के अंतिम महीनों में शुरू हुआ था, जब इंडियन एयरलाइंस ने 3 बोइंग 737 विमान खरीदने का फैसला किया था. बाद में शाह आयोग ने इस सौदे की जांच की, जिसका गठन 1977 में आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों की जांच के लिए किया गया था. आयोग ने पाया कि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई थी और स्थापित प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया गया था, जिसमें निर्णय लेने में अनियमितताएं और आधिकारिक बैठकों में राजीव गांधी, जो उस समय इंडियन एयरलाइंस के पायलट थे, उनकी असामान्य उपस्थिति की ओर इशारा किया गया था.

शाह आयोग के निष्कर्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि राजीव गांधी सितंबर 1976 में एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल हुए थे, जहां वित्त निदेशक द्वारा बोइंग के पक्ष में वित्तीय अनुमान प्रस्तुत किए गए थे. आयोग ने कहा कि उनकी भागीदारी ‘व्यावसायिक प्रक्रिया के बिल्कुल विपरीत’ थी और इस बात पर सवाल उठाया कि एक पायलट को गोपनीय वित्तीय चर्चाओं की जानकारी क्यों थी. 

रिपोर्ट में क्या कहा गया
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बोइंग के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर कंपनी की पेशकश की तकनीकी समाप्ति के बाद भी हुए, जिससे प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से अनुचित जल्दबाजी और राजनीतिक दबाव का संकेत मिलता है. कहा जाता है कि 30.55 करोड़ रुपए की इस खरीद को योजना आयोग और वित्त मंत्रालय, दोनों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन कथित तौर पर इंदिरा गांधी के कार्यालय के निर्देशों के तहत इसे आगे बढ़ाया गया.

राजीव गांधी को स्वीडिश सैन्य कंपनी का एजेंट बता चुके हैं दुबे
इससे पहले शुक्रवार को दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर एक सनसनीखेज आरोप लगाया था कि उन्होंने 1970 के दशक में एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट के रूप में काम किया था. बीजेपी सांसद ने अपने आरोपों की पुष्टि के लिए सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज भी साझा किया. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “राहुल गांधी जी के पिता, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी, एक स्वीडिश सैन्य कंपनी के एजेंट थे, यानी वे 70 के दशक में दलाली में शामिल थे?”

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनावी हलफनामों का हवाला दिया और दुबे की पत्नी की संपत्ति में 2009 में 50 लाख रुपये से 2024 तक 31.32 करोड़ रुपये तक की भारी वृद्धि पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि दुबे से जुड़ा भ्रष्टाचार का मामला इतना गंभीर है कि 56 वर्षीय बीजेपी सांसद गोड्डा निर्वाचन क्षेत्र से अपनी संसद सदस्यता खो सकते हैं.

ये भी पढ़ें

तेलंगाना में BC आरक्षण को लेकर के. कविता का जोरदार हमला, बंद को बताया ‘हत्या के बाद श्रद्धांजलि’





Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

टॉप स्टोरी

ज़रूर पढ़ें

Verified by MonsterInsights