जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को हुई आतंकी वारदात में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 2 मिनट का मौन रखा गया. इस दौरान जजों, वकीलों, रजिस्ट्री कर्मचारियों समेत सभी लोगों ने अपना काम छोड़ कर आतंकवाद के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि दी.
फुल बेंच का प्रस्ताव
सुप्रीम कोर्ट के जजों की फुल बेंच बैठक में पहलगाम हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया. इस प्रस्ताव में लिखा गया है, ‘हिंसा का यह राक्षसी कृत्य अंतरात्मा को झकझोर देने वाला है. यह बताता है कि आतंकवाद किस तरह की क्रूरता और अमानवीयता को जन्म देता है. भारत के मुकुट कश्मीर में प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे पर्यटकों को हिंसा का शिकार बनाए जाने की कोर्ट कठोर निंदा करता है.’
प्रस्ताव में आगे कहा गया है, ‘सुप्रीम कोर्ट इस क्रूरता के चलते असमय जान गंवाने वाले निर्दोष लोगों को विनम्र श्रद्धांजलि देता है. पीड़ित परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता है. हम कामना करते हैं कि मृतकों की आत्मा को शांति मिले और घायल शीघ्र स्वस्थ हों. इस शोक की घड़ी में पूरा देश पीड़ितों के साथ खड़ा है.’
2 मिनट का मौन
दोपहर 1.59 पर सुप्रीम कोर्ट में सायरन बजना शुरू हुआ. 2 बजे सभी जज, वकील और बाकी लोग अपनी-अपनी जगह पर खड़े हो गए. यह मौन 2.02 बजे तक चला. इससे पहले लगभग 1.30 बजे लगभग 100 वकीलों के समूह ने भी सुप्रीम कोर्ट के लॉन में इकट्ठा होकर मौन रखा था. इन वकीलों ने अपनी कोट के ऊपर सफेद रिबन लगा कर पहलगाम में हुई घटना पर विरोध जताया.
वकीलों ने की सख्त कार्रवाई की मांग
वकीलों के मौन के बाद मीडिया से बात करते हुए वरिष्ठ वकील अमन लेखी ने घटना को अमानवीय और असहनीय बताया. अमन लेखी ने कहा कि जिस तरह लोगों से कलमा पढ़ने को कहा गया, हत्या से पहले कपड़े उतरवाए गए, ऐसी बर्बरता दिल को झकझोर देने वाली है. वकील अश्विनी उपाध्याय ने सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन ने भी अलग-अलग प्रस्ताव पारित कर घटना की निंदा की है. इन संस्थाओं ने सरकार से मांग की है कि आतंकी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को जल्द से जल्द कानून के दायरे में लाने की मांग की है.