गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को हुए एयर इंडिया फ्लाइट हादसे के बाद गुजरात में फोरेंसिक विभाग लगातार बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय की डीएनए लैब बड़े पैमाने पर पहचान की पहल का केंद्र बिंदु बन गई है। डीएनए की उन्नत परीक्षण तकनीक का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक और फोरेंसिक विशेषज्ञ पीड़ितों की पहचान करने में जुटे हुए है। लगातार लैब के कर्मचारी लगन से काम कर रहे है।
अहमदाबाद से लंदन जाने वाले एयर इंडिया का विमान 12 जून को उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के बाद दुर्घटना का शिकार हुआ था। इस हादसे में 242 लोगों में से 241 लोगों की मौत हो गई थी। फ्लाइट हादसे में मरने वालों में 12 क्रू मेंबर्स भी शामिल थे। इस हादसे में सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा ता जो कि भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक विश्वास कुमार रमेश है, जो अस्पताल में इलाज करवा रहा है।
वहीं इस हादसे में पास के ही डॉक्टर हॉस्टल में रहने वाले निवासियों और एमबीबीएस छात्रों सहित कम से कम 33 अन्य लोग भी विमान के इमारत से टकराने पर मारे गए। डीएनए लैब में, पहचान की प्रक्रिया को चार आवश्यक चरणों में विभाजित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक अवशेषों से सटीक आनुवंशिक प्रोफ़ाइल प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रक्रिया आइसोलेशन लैब में शुरू होती है, जहाँ दुर्घटना स्थल से प्राप्त मानव अवशेषों और पोस्टमॉर्टम नमूनों का विश्लेषण किया जाता है। फोरेंसिक पेशेवर जली हुई हड्डियों, दांतों और ऊतक के टुकड़ों जैसी चुनौतीपूर्ण सामग्रियों से निपटते हैं। इन सामग्रियों को रासायनिक उपचार से गुज़ारा जाता है और सबसे अधिक समझौता किए गए नमूनों से भी डीएनए निकालने के लिए उन्नत मशीनों के साथ संसाधित किया जाता है।
डीएनए निष्कर्षण के बाद, यह क्वांटिफिकेशन लैब में जाता है। इस लैब की भूमिका डीएनए की गुणवत्ता और मात्रा का आकलन करना है। रियल-टाइम पीसीआर (आरटी-पीसीआर) मशीन और स्वचालित लिक्विड हैंडलिंग सिस्टम जैसे उपकरण यह गारंटी देते हैं कि बाद की प्रक्रिया के लिए केवल उपयुक्त नमूने ही भेजे जाते हैं।
तीसरा चरण पीसीआर लैब में होता है, जहाँ सटीक विश्लेषण के लिए पर्याप्त सामग्री सुनिश्चित करने के लिए डीएनए को प्रवर्धित किया जाता है। डीएनए अनुक्रमों को प्रवर्धित करने के लिए एसटीआर (शॉर्ट टैंडेम रिपीट) किट के साथ थर्मल साइक्लर मशीन का उपयोग किया जाता है।
अंतिम चरण में, सीक्वेंसिंग लैब उन्नत सीक्वेंसिंग मशीनों का उपयोग करके प्रवर्धित डीएनए का विश्लेषण करती है। इस चरण से प्राप्त जानकारी का उपयोग वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा विस्तृत डीएनए प्रोफाइल बनाने के लिए किया जाता है। इन प्रोफाइलों की तुलना बाद में पीड़ितों के परिवारों द्वारा प्रदान किए गए संदर्भ नमूनों से की जाती है, जिससे अधिकारियों को त्रासदी में अपनी जान गंवाने वालों की पहचान सत्यापित करने में मदद मिलती है। निदेशालय ने पहचान प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए परिवार के सदस्यों से डीएनए नमूने प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है।
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