केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)के सहयोगी दल बिहार विधानसभा चुनाव जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि अगली सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसका फैसला चुनाव के बाद निर्वाचित विधायकों द्वारा लिया जाएगा।
बिहार चुनाव: नीतीश के नेतृत्व में NDA लड़ेगा
शाह ने नीतीश कुमार को भारतीय राजनीति का एक प्रमुख समाजवादी नेता बताते हुए कहा कि जनता दल यूनाइटेड (जदयू) अध्यक्ष की राजनीति हमेशा कांग्रेस विरोधी रही है और वह जेपी आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे और उन्होंने आपातकाल के दौरान कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना 14 नवंबर को होगी।
नीतीश के नेतृत्व में चुनाव, CM पद पर बाद में होगा फैसला!
शाह ने दावा किया कि आगामी 14 नवंबर को जब परिणाम आएंगे, तो राजग सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ देगा।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं यह तय करने वाला नहीं हूं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं। फिलहाल हम उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव के बाद सभी सहयोगी दल बैठकर अपने नेता का चयन करेंगे।”
शाह ने कहा, ‘‘वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद स्वयं नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया था कि भाजपा की सीटें अधिक होने के कारण मुख्यमंत्री भी उसका ही होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने हमेशा अपने गठबंधन का सम्मान किया और नीतीश कुमार को उनकी वरिष्ठता और सम्मान के आधार पर मुख्यमंत्री बनाया।’’
नीतीश कुमार के बार-बार पाला बदलने के रिकॉर्ड पर पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ मुश्किल से ढाई साल रहे हैं, जबकि उनका राजनीतिक जीवन कांग्रेस-विरोध से ही शुरू हुआ था, 1974 के जेपी आंदोलन से, जो बाद में इंदिरा गांधी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन में तब्दील हुआ और अंततः आपातकाल लागू करने का कारण बना।
नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और व्यवहार को लेकर विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कई बार लंबी बातचीत की है, चाहे आमने-सामने या फोन पर, लेकिन कभी किसी तरह की असामान्यता नहीं देखी।
उन्होंने कहा, ‘‘उम्र के कारण कुछ समस्याएं स्वाभाविक हैं, लेकिन राज्य का संचालन केवल मुख्यमंत्री नहीं बल्कि उनकी पूरी टीम करती है।’’
इस दौरान शाह ने महागठबंधन पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को भली-भांति याद करती है और उस दौर की वापसी नहीं चाहती, चाहे समय कितना भी क्यों न बदल गया हो।
गृह मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस हमेशा छोटे सहयोगियों को नीचा दिखाने की कोशिश करती है। दूसरों को छोटा दिखाकर खुद छोटी होती गई है।’’
उन्होंने कहा कि इसी अहंकार के चलते कांग्रेस ने बिहार से लेकर बंगाल तक अपना जनाधार खो दिया है।
शाह ने कहा कि विपक्ष की कमजोरी कभी भी राजग की ताकत नहीं हो सकती, क्योंकि वह हमेशा अपनी लोकप्रियता और नेतृत्व के बल पर चुनाव लड़ता है।
उन्होंने कहा कि राजग इस बार बिहार चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बारे में पूछे गए सवाल पर शाह ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि देश में इस तरह की कवायद की जा रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रधानमंत्री राजीव गांधी, इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में भी हुआ था।
शाह ने एसआईआर का कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा किये जा रहे विरोध पर कहा कि शायद उनको इसकी जानकारी नहीं है।
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि अगर उनके नेतृत्व वाले ‘महागठबंधन’की सरकार बनती है तो बिहार में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकाारी नौकरी दी जाएगी। इस बारे में पूछे गए सवाल पर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को नौकरी देने के लिए लगभग 12 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि बिहार का बजट लगभग 3.25 लाख करोड़ रुपये है।
शाह ने कहा, ‘‘तेजस्वी यादव को यह भी बताना चाहिए कि वह 12 लाख करोड़ रुपये का इंतजाम कहां से करेंगे। यह एक निराधार वादा है, वोट हासिल करने के लिए बिहार के युवाओं से बोला गया एक सफेद झूठ है।’’
बिहार में घुसपैठ के मुद्दे पर शाह ने कहा कि अगली राजग सरकार सबसे पहले घुसपैठियों का पता लगाएगी, उनके नाम मतदाता सूची से हटाएगी और फिर उन्हें निर्वासित करेगी।
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