छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अनिल टूटेजा के आवास पर CBI की टीम ने दबिश दी. करीब 2000 करोड़ के शराब घोटाले में सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है. दिल्ली से आई सीबीआई के 6 अधिकारियों की टीम टूटेजा के आवास पर जरूरी दस्तावेज खंगाल रही है. हालांकि कार्रवाई की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
शराब घोटाले में टूटेजा को ED के केस में सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली है, लेकिन इसके बावजूद EOW ने भी FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. वहीं, अब सीबीआई भी शराब घोटाले की जांच में सक्रिय हो गई है. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद पूर्व आईएएस को अभी जेल में ही रहना होगा. टूटेजा पिछले एक साल से रायपुर जेल में बंद हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने किस आधार पर टूटेजा को दी जमानत
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में अनिल टूटेजा के वकीलों ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की विशेष अदालत ने 2 अप्रैल 2025 को उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें टूटेजा पर आरोप तय किए गए थे. हाईकोर्ट ने कहा कि आईएएस अधिकारी पर आरोप तय करने के पहले सरकार से सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अनुमति नहीं ली गई है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अनिल टूटेजा को सशर्त जमानत दी थी, लेकिन शर्त के मुताबिक टूटेजा को अपना पासपोर्ट जमा करवाने और अदालत की कार्यवाही में पूरा सहयोग करने की शर्त भी लगाई गई थी.
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कौन-कौन शामिल
छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले में ED जांच कर रही है. ED की FIR के मुताबिक छत्तीसगढ़ में करीब 2 हजार करोड़ का शराब घोटाला हुआ है. ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आईएएस अनिल टूटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर ने अन्य शराब कारोबारियों के साथ मिलकर शराब सिंडिकेट तैयार कर घोटाले को अंजाम दिया था. इतना ही नहीं छत्तीसगढ़ के इस सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड में भी छत्तीसगढ़ जैसे ही शराब घोटाले को अंजाम दिया, जिसके बाद छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने झारखंड शराब घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है.
(विनीत पाठक की रिपोर्ट)
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