आदित्यनाथ ने सपा के विरोधियों और बीजेपी की तुलना करते हुए एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने (राम मंदिर आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर) गोलियां चलाईं, वे 2024 में राम मंदिर के अभिषेक के लिए कभी नहीं आए।’
उन्होंने आगे कहा, ‘राम मंदिर आंदोलन के दौरान, मंदिर निर्माण को रोकने के लिए अधिवक्ताओं को तैनात किया गया था। उन्होंने गोलियां चलाईं, जबकि हमने दीये जलाए।’
आदित्यनाथ यहां तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने अक्टूबर 1990 में पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। यह कार्रवाई उन कारसेवकों के खिलाफ की गई थी जो बाबरी मस्जिद की ओर मार्च कर रहे थे।
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सत्य की विजय और सनातन धर्म का संघर्ष
मुख्यमंत्री ने संघर्ष और आस्था पर जोर देते हुए कहा, ‘हर दीया हमें याद दिलाता है कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं किया जा सकता। सत्य की नियति विजयी होना है। और इसी विजय की नियति के साथ सनातन धर्म 500 वर्षों से निरंतर संघर्ष कर रहा है। इन्हीं संघर्षों के परिणामस्वरूप अयोध्या में एक भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण हुआ है।’
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1990 की घटना के बारे में
अक्टूबर 1990 में, मुलायम सिंह यादव ने लालकृष्ण आडवाणी और बाबरी मस्जिद की ओर मार्च कर रहे श्रद्धालुओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया था। उन्होंने तब कहा था: ‘उन्हें अयोध्या में प्रवेश करने की कोशिश करने दीजिए। हम उन्हें कानून का मतलब सिखाएंगे। कोई मस्जिद नहीं तोड़ी जाएगी।’
हालांकि, आडवाणी अयोध्या नहीं पहुंच पाए और उन्हें पड़ोसी राज्य बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया था। तब तक, कई कारसेवक शहर में जमा हो चुके थे। जैसे ही कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद की ओर कूच करने की कोशिश की, पुलिस और भीड़ के बीच झड़प हो गई। जब बैरिकेडिंग के बावजूद भीड़ नहीं हटी, तो मुलायम ने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया, जिससे भगदड़ और अफरा-तफरी मच गई थी।
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