अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच सीधी बातचीत हो रही है और पहली बैठक शनिवार को होने वाली है, जो लगभग शीर्ष स्तर पर होगी. उन्होंने कहा कि समझौते पर पहुंचने में विफलता से तेहरान को बहुत बड़ा खतरा हो जाएगा, क्योंकि उसे परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने वार्ता के स्थान या इसमें शामिल होने वाले अधिकारियों के बारे में कोई संकेत नहीं दिया. हालांकि उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक समाचार सम्मेलन में कई बार कहा कि वार्ता “बहुत शीर्ष” स्तर पर और “लगभग उच्चतम स्तर” पर होगी.
ट्रंप की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब उन्होंने पहली बार वार्ता के लिए सार्वजनिक निमंत्रण के साथ प्रक्रिया शुरू की थी, जिसे ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने अस्वीकार कर दिया था.
ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति अपनाई, जिसकी शुरुआत उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में 2015 के जेसीपीओए (संयुक्त व्यापक कार्य योजना – जिसे ईरान समझौता भी कहा जाता है) को रद्द करके की थी. यह समझौता राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पी5 सदस्य देशों अमेरिका, यूके, फ्रांस, चीन और रूस और जर्मनी (+1) और ईरान के बीच कराया गया था. इसके तहत ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को रोकने के बदले में संयुक्त राष्ट्र के कठोर प्रतिबंध हटाए गए थे.
ट्रंप ने कहा, “हमारी ईरान से सीधी बातचीत चल रही है, जो शनिवार से शुरू होगी. हमारी एक बहुत बड़ी बैठक है, और हम देखेंगे कि क्या हो सकता है,और मुझे लगता है कि हर कोई सहमत है कि एक समझौता करना, स्पष्ट कार्रवाई करने से बेहतर होगा. सच कहूं तो, इजरायल भी इसमें शामिल होना नहीं चाहता, यदि वे इससे बच सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “अगर ईरान के साथ बातचीत सफल नहीं होती है, तो मुझे लगता है कि ईरान बहुत खतरे में पड़ने वाला है, क्योंकि उनके पास परमाणु हथियार नहीं हो सकते. आप जानते हैं, यह कोई जटिल फ़ॉर्मूला नहीं है. ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हो सकता. बस इतना ही है. आप इसे अभी तैयार नहीं कर सकते.”