केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के लेह जिले में शांति में खलल की आशंका और इलाके में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते अधिकारियों ने शुक्रवार (17 अक्टूबर, 2025) को फिर से पाबंदियां लगा दीं.
अधिकारियों की ओर से यह कदम लेह में पाबंदियां हटाने के बमुश्किल दो दिन बाद उठाया गया है. ये पाबंदियां पहली बार 24 सितंबर को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के दर्जे की मांग को लेकर प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसक झड़पों के बाद लगाई गई थीं. झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे.
लेह हिंसा में 4 लोगों की मौत और 90 हुए थे घायल
लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की ओर से शनिवार (18 अक्टूबर, 2025) को लद्दाख में दो घंटे के मूक मार्च और तीन घंटे के ब्लैकआउट की अपील के मद्देनजर ये पाबंदियां फिर से लगा दी गईं. पिछले महीने हुई हिंसा में मारे गए चार लोगों और गंभीर रूप से घायल हुए लोगों के परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इस मार्च की अपील की गई. LAB ने एक बयान में कहा कि यह प्रदर्शन हिरासत में लिए गए युवाओं की रिहाई में देरी का विरोध करने के लिए भी है.
जिला प्रशासन ने 24 सितंबर को लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी किए, जिसमें पांच या उससे ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई. अधिकारियों ने बताया कि तब से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है.
लेह के जिलाधिकारी ने जारी किया आदेश
जिलाधिकारी रोमिल सिंह डोंक की ओर से जारी आदेश में कहा गया, ‘लेह के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से आज मिली रिपोर्ट के मुताबिक, लेह तहसील के इलाके में शांति में खलल, इंसानी जान को खतरा और कानून-व्यवस्था की समस्या होने की आशंका है.’
डोंक ने कहा कि लोक व्यवस्था और शांति बनाए रखने के लिए तुरंत एहतियाती उपाय जरूरी हैं. डोंक ने आदेश में कहा, ‘इसलिए, BNSS की धारा 163 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मैं निर्देश देता हूं कि लेह तहसील के अधिकार क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों का इकट्ठा होना प्रतिबंधित रहेगा.’
केंद्र ने सेवानिवृत न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच की घोषणा की
मंगलवार (14 अक्टूबर, 2025) को LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपायों की अपनी मांग के समर्थन में नए विरोध प्रदर्शन की घोषणा की. वहीं, शुक्रवार (17 अक्टूबर, 2025) को केंद्र ने विरोध कर रहे समूहों की एक मुख्य मांग को पूरा करने के लिए 24 सितंबर की हिंसक झड़पों की सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच की घोषणा की.
पुलिस ने प्रदर्शनों का एक अहम चेहरा पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिंसा भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया. वांगचुक अभी जोधपुर जेल में बंद हैं.
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