Pahalgam Terror Attack: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (23 अप्रैल 2025) शाम को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की एक आपात बैठक के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कड़े फैसले लिए गए हैं. पाकिस्तान को साफ संदेश देते हुए भारत ने सिंधु जल संधि (1960) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. सिंधु को पाकिस्तान का लाइफ लाइन कहा जाता है. केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले के बाद सिंधु और सहायक नदियों के पानी पर भारत का नियंत्रण हो जाएगा और वहां के लोग पानी के लिए तरस जाएंगे.
21 करोड़ लोग सिंधु के पानी पर हैं निर्भर
सिंधु नदी की प्रमुख सहायक नदियां (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलज) चार देशों से गुजरती है. पाकिस्तान की पूरी आबादी (करीब 21 करोड़) को पानी के लिए इसी नदी पर निर्भर रहना पड़ता है. सिंधु जल समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच सितंबर 1960 में हुआ था.
टूट जाएगी पाकिस्तान की कमर
- पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती के जमीन (लगभग 16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है.
- इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है, जो देश की कृषि को शक्ति प्रदान करता है.
- यह प्रणाली से 237 मिलियन से अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है, जिसमें सिंधु बेसिन की 61 फीसदी जनसंख्या पाकिस्तान में रहती है.
- पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर, मुल्तान सिंधु नदी के पानी पर निर्भर हैं.
- पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पॉवर प्रोजेक्ट इस नदी पर निर्भर हैं.
कौन-कितना पानी इस्तेमाल करता है?
इस समझौते के तहत भारत सिंधु नदी प्रणाली के पानी का केवल 20 फीसदी ही इस्तेमाल कर सकता है और बाकी 80 फीसदी पानी पाकिस्तान को देता है. भारत अपने हिस्से में से भी करीब 90 फीसदी पानी ही इस्तेमाल करता है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच हर साल सिंधु जल आयोग की बैठक अनिवार्य है.
इस समझौते के रोकने से भारत सिंधु नदी का जल प्रवाह पाकिस्तान को रोक देगा, जिससे पाकिस्तान बूंद-बूंद को तरस जाएगा. भारत ने पिछले साल अगस्त में सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को एक नोटिस भी दिया था. पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट और भुखमरी की मार झेल रहा है.
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