Jammu Kashmir Terror Attack: पहलगाम के बैसरन टूरिस्ट स्पॉट पर हुए हमले को लेकर इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियां इस बात का पता करने में जुट गई हैं कि आखिर पर्यटकों के नरसंहार के पीछे आतंकी कौन थे और किस संगठन से जुड़े थे. साथ ही जांच इस बात की भी शुरू हो गई है कि क्या वाकई पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकी संगठन इस साजिश के मुख्य सूत्रधार हैं?
पाकिस्तान से घुसपैठ कर घाटी में घुसे आतंकी
शुरुआती जांच में साफ हो गया है कि पहलगाम हमले में स्थानीय आतंकियों के साथ ही पाकिस्तान से आए आतंकवादी भी शामिल थे. प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के आधार पर जांच एजेंसियों ने तीन आतंकियों के स्केच जारी किए हैं. ये स्केच, हाल ही में पाकिस्तान से घुसपैठ कर कश्मीर घाटी में घुसे आतंकियों से मेल खाते हैं. इन आतंकियों की तस्वीर कुछ दिनों पहले एक आतंकी की मुठभेड़ के बाद हाथ लगी थी.
इस तस्वीर में चार आतंकी दिखाई पड़ रहे हैं. इनमें जिन तीन आतंकियों पर शक की सुई घूम रही हैं, उसमें आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तलहा शामिल हैं. आसिफ फौजी, दक्षिण कश्मीर के शोपियां का रहने वाला बताया जा रहा है. माना जा रहा है कि अबू तलहा, पाकिस्तान का है और लश्कर ए तैयबा का कमांडर है. लश्कर में अबू तलहा एक रैंक होती हैं, जो मिड-लेवल के आतंकियों को दी जाती है (टॉप कमांडर को अबू मूसा के नाम से जाना जाता है).
टारगेट किलिंग के लिए जाना जाता है टीआरएफ
हमले के तुरंत बाद लश्कर के छद्म संगठन टीआरएफ ने जिम्मेदारी ली थी. द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) का नाम हाल के सालों में कश्मीर घाटी में सामने आया था. पाकिस्तान में लश्कर पर दबाव पड़ने के बाद इस ग्रुप को खड़ा किया गया था. टारगेट किलिंग के लिए टीआरएफ को कुख्यात माना जाता है. हालांकि खुफिया एजेंसियां इस बात को बखूबी जानती हैं कि इस हमले की साजिश फरवरी के महीने में पाकिस्तान के गैर-कानूनी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के रावलकोट में रची गई थी.
5 फरवरी को पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद ने कश्मीर सॉलिडैरिटी डे मनाया था. इस जलसे में और लश्कर ने हमास की पॉलिटिकल विंग के नेताओं को आमंत्रित किया था. ऐसे में कश्मीर सॉलिडैरिटी डे के साथ ही आतंकी संगठनों ने अल-अक्सा फ्लड के तौर भी मनाया गया था.
पहलगाम हमले का हमास कनेक्शन
हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किए आतंकी हमले को अल-अक्सा फ्लड ऑपरेशन का नाम दिया था. रावलकोट के जलसे में पीओके के झंडे के साथ ही हमास के झंडे भी लहराए गए थे. हमास की तर्ज पर ही लश्कर और जैश ने बाइक और घोड़ों पर एक बड़ी रैली रावलकोट शहर में निकाली थी. क्योंकि पिछले एक-डेढ़ साल से रावलकोट में भारत के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे थे. भारत का तिरंगा तक लहराया गया था.
हमास कनेक्शन को बल इसलिए भी मिलता है क्योंकि पिछले हफ्ते भी जैश ए मोहम्मद के बहावलपुर स्थित हेडक्वार्टर में हमास के कमांडरों का स्वागत किया गया था. इस दौरान हमास के कमांडरों की लिमोजिन को घोड़ों पर सवार जैश के आतंकियों ने अगवानी की थी. खुफिया एजेंसियों को इस बात का पूरा शक है कि जैश, लश्कर और टीआरएफ ने पहलगाम का नरसंहार, पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की शह पर किया है. क्योंकि 16 अप्रैल को ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने भारत, कश्मीर और हिंदुओं को लेकर एक उन्मादी भाषण दिया था.
आतंकियों ने कुछ महीने पहले किया था घुसपैठ
जिन आतंकियों ने नरसंहार को अंजाम दिया है, उनके बारे में ये माना जा रहा है कि कुछ महीने पहले ये ग्रुप एलओसी पर घुसपैठ कर भारत में दाखिल हुआ. पिछले साल राजौरी-पुंछ में डीकेजी (डेरा की गली) में सेना के काफिले पर हुए हमले में भी टीआरएफ का नाम सामने आया था. उस वक्त टीआरएफ के आतंकियों ने सैनिकों के शव को क्षत-विक्षत भी किया था.
माना जा रहा है कि ये ग्रुप पुंछ-राजौरी की पीर पंजाल के रेंज से डोडा-किश्तवाड़ के छात्ररों और वधावन वैली से होते हुए पहलगाम पहुंचे. ये पारंपरिक रूट नहीं है. पिछले कुछ सालों तक आतंकी, पुंछ राजौरी से मुगल रोड होते हुए दक्षिण कश्मीर के शोपियां, पुलवामा और अनंतनाग पहुंचे थे, लेकिन इस बार गैर-पारंपरिक रूट लिया है जो बेहद खतरनाक और असाधारण रूट है. ऐसे में शक है कि आतंकियों को पाकिस्तानी सेना के स्पेशल फोर्स यानी एसएसजी (स्पेशल सर्विस ग्रुप) की ट्रेनिंग मिली हुई है.
पहलगाम से ही पहाड़ों के रास्ते से सोनमर्ग और गांदरबल के रास्ते एलओसी तक जाया जा सकता है. क्योंकि सोनमर्ग, गांदरबल और गुरेज सेक्टर को सेना ने पूरी तरह सील कर रखा है, ऐसे में आतंकियों ने एक लंबा रूट लेकर पहलगाम में नरसंहार किया. इस नरसंहार की साजिश में कश्मीर के एक पुराने आतंकी आदिल गुरी का नाम भी सामने आया है. वर्ष 2018 में आदिल अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान गया था. हाल के दिनों में इसके चोरी छिपे वापस लौटने की खबर मिली थी. ऐसे में आतंकियों को लोकल सपोर्ट आदिल के जरिए मिलने की संभावना है.