Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के सफाए के बाद हुए सबसे भीषण आतंकी हमले में आतंकवादियों ने पहलगाम के बैसरन में टूरिस्टों पर गोलीबारी की, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए. लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की ब्रांच द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस नरसंहार की जिम्मेदारी ली है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इस हमले का मास्टरमाइंड कौन था और टीआरएफ को लीड कौन कर रहा था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, बताया जा रहा है कि पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का सैफुल्लाह कसूरी था, जबकि टीआरएफ समूह का नेतृत्व आसिफ फौजी कर रहा था. जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को 5 अगस्त, 2019 को खत्म कर दिया गया था. इसके बाद से आतंकवादी गतिविधियों के साथ-साथ पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी देखी गई. खास बात ये है कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इस आतंकी संगठन का गठन किया गया था.
टीआरएफ को कौन कर रहा था लीड?
टीआरएफ को सैफुल्लाह कसूरी लीड कर रहा था. पाकिस्तानी आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के सीनियर कमांडर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. कसूरी को एलईटी संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी भी माना जाता है. एजेंसियों को संदेह है कि हमला सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध था. आतंकवादी छिपे हुए थे और बड़े पैमाने पर जनहानि करने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहे थे. यह हमला दो वीआईपी यात्राओं के समय हुआ. पहला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा और दूसरा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब यात्रा.
एलईटी में क्या है खालिद का रोल?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में अमेरिकी ट्रेजरी के हवाल से बताया गया कि सैफुल्लाह कसूरी या खालिद को हाफिज सईद के जमात-उद-दावा (जेयूडी) के राजनीतिक मोर्चे, मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) के अध्यक्ष के रूप में पेश किया गया और 8 अगस्त, 2017 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी के गठन, लक्ष्यों और उद्देश्यों के बारे में बात की गई.
खालिद (LeT) के पेशावर मुख्यालय का भी प्रमुख है और उसने JuD के तहत मध्य पंजाब प्रांत के लिए समन्वय समिति में काम किया है. JuD को अप्रैल 2016 में कार्यकारी आदेश 13224 के तहत अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से LeT के उपनाम के रूप में नामित किया गया था. इसके अलावा, दिसंबर 2008 में इसे LeT के एक अन्य उपनाम के रूप में संयुक्त राष्ट्र 1267/1988 प्रतिबंध सूची में जोड़ा गया था.
क्या है टीआरएफ?
द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का गठन 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुआ था. ये प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा की ब्रांच है. अधिकारियों के मुताबिक, ग्रुप की धार्मिक संबद्धता को कम करने और कश्मीर के उग्रवाद को स्वदेशी रूप देने के लिए यह नाम चुना गया था. अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इसके नाम में ‘रेसिस्टेंस’ इसलिए शामिल किया गया ताकि यह वैश्विक स्तर पर गूंज सके.
टीआरएफ ने घाटी के पत्रकारों को धमकियां जारी कीं, जिसके बाद गृह मंत्रालय (एमएचए) ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत टीआरएफ को आतंकवादी संगठन घोषित किया. गृह मंत्रालय के नोटिफिकेश के मुताबिक, टीआरएफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं की भर्ती कर रहा था, जिसमें आतंकवादियों की घुसपैठ और पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी में मदद करना शामिल था.
जब 2019 में टीआरएफ की स्थापना की गई थी, तब शेख सज्जाद गुल ने टॉप कमांडर के रूप में आतंकी संगठन का नेतृत्व किया था, जबकि बासित अहमद डार ने चीफ ऑपरेशनल कमांडर के रूप में काम किया था. टीआरएफ हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर जैसे कई संगठनों के आतंकवादियों का एक मिलाजुला संगठन है.
जम्मू-कश्मीर में नागरिकों और सुरक्षा बलों पर अधिकांश हमले द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) ने किए हैं, जिनमें गंदेरबल हमला भी शामिल है. अक्टूबर 2024 में श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक सुरंग-निर्माण स्थल को आतंकवादियों की ओर से निशाना बनाए जाने पर एक डॉक्टर और छह गैर-स्थानीय मजदूरों की मौत हो गई थी. जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, 2022 में घाटी में निष्प्रभावी किए गए आतंकवादियों में सबसे अधिक संख्या टीआरएफ की थी, जो दर्शाता है कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा के सबसे सक्रिय प्रॉक्सी में से एक है.
पहलगाम आतंकी हमले का कौन था लीडर?
पहलगाम नरसंहार के कुछ ही घंटों के भीतर हमले की जिम्मेदारी रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने नरसंहार में शामिल तीन हमलावरों के स्केच जारी किए. तीनों आतंकवादियों की पहचान आसिफ फूजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा के रूप में हुई है. इंडिया टुडे टीवी सहित कई रिपोर्टों के मुताबिक, आसिफ फौजी गिरोह का नेता था.
कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि वह एक स्थानीय आतंकवादी था, जबकि अन्य ने दावा किया कि वह पाकिस्तानी सेना के साथ काम करता था, इसलिए उसका नाम फौजी रखा गया. चश्मदीदों ने कहा कि दो आतंकवादी पश्तो में बात कर रहे थे, जो पाकिस्तानी मूल का संकेत देता है, जबकि उनमें से दो बिजभेरा और त्राल के स्थानीय निवासी बताए गए.
घुसपैठ करके घाटी में घुसे
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले को कथित तौर पर चार से पांच आतंकवादियों के एक ग्रुप ने अंजाम दिया था, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादी भी शामिल थे. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यटकों पर हमले से कुछ दिन पहले ही वे घाटी में घुसपैठ कर आए थे.
पाकिस्तान और उसकी ओर से समर्थित और वित्तपोषित आतंकवादी दशकों से जम्मू-कश्मीर में दहशत फैलाने के पीछे हैं. लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और उसके आतंकी सरगना सभी पाकिस्तान बेस्ड हैं. कश्मीर में आखिरी बड़ा आतंकी हमला फरवरी 2019 में हुआ था, जब केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था. इसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. भारत ने बालाकोट में एलओसी पार हवाई हमले करके जवाबी कार्रवाई की थी.
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