पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता को लेकर विदेशी निवेशक काफी सतर्क हो गए हैं, जिसका असर उसके फॉरेन इनवेस्टमेंट पर पड़ना शुरू हो गया है. पाकिस्तान के विदेशी निवेश को बड़ा झटका लगा है. तीन देशों ने ट्रेजरी बिल से 1 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा रकम निकाल ली है, जिसकी वजह से पाकिस्तान की चिंता बढ़नी तय है. कई एक्सपर्ट का ऐसा कहना है कि पाकिस्ताान जिस कदर कर्ज के बोझ तले दबता चला जा रहा है, उससे देशों की चिंता बढ़ गई है और निवेश करने के लिए उन्हें सोचना पड़ रहा है.
मौजूदा वित्त वर्ष में पाकिस्तान के ट्रेजरी बिल से 1 बिलियन डॉलर निकाल लिए गए हैं. सिर्फ तीन देशों ने ही इतनी बड़ी रकम ट्रेजरी बिल से निकाल ली है, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडन शामिल हैं. ट्रेजरी बिल या टी-बिल किसी भी सरकार का ऋण पत्र होता है, जो सरकार जारी करती है. इसमें जो भी निवेश करता है, उससे रिटर्न का वादा किया जाता है. इसकी अवधि 94 दिन, 182 दिन या 364 दिन होती है.
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार इस वित्त वर्ष में 1 जुलाई से 14 मार्च के बीच टी-बिल में 1.163 बिलियन डॉलर निवेश किए गए, जबकि निकाली गई राशि 1.121 बिलियन डॉलर है, जिससे अब टी- बिल में सिर्फ 42 मिलियन डॉलर ही रह गए हैं.
यूनाइटेड किंगडम पाकिस्तान का सबसे बड़ा टी-बिल इनवेस्टर है, जिसने फाइनेंशियल ईयर 2025 में 710 मिलियन डॉलर का निवेश किया और 625 मिलियन डॉलर निकाल लिए. वहीं, यूएई ने 205 मिलियन डॉलर और अमेरिका ने 130 मिलियन डॉलर निकाल लिए. एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान के कर्ज के बोझ को लेकर ये देश सतर्क हो गए हैं.
एक फाइनेंशियल एनालिस्ट का कहना है कि पाकिस्तान की राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता की वजह से निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है. देश की कम आर्थिक विकास दर निवेशकों के लिए बड़ा रेड फ्लैग है. पाकिस्तान के कर्ज पर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की पिछली साल एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया कि साल वित्त वर्ष 2025 के लिए पाकिस्तान का कुल बकाया कर्ज 26.2 बिलियन डॉलर है.
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