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जीविका के स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं में उद्यमिता का विकास हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में कई छोटे उद्यम और उत्पादक कंपनियाँ स्थापित हुई हैं। हालाँकि, महिला उद्यमियों को अक्सर 18%-24% की ऊँची ब्याज दर वाली सूक्ष्म वित्त संस्थाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। जीविका निधि की परिकल्पना एक वैकल्पिक वित्तीय प्रणाली के रूप में की गई है, ताकि एमएफआई पर निर्भरता कम की जा सके तथा कम ब्याज दरों पर बड़ी ऋण राशि की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
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यह प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर संचालित होगी, जिससे जीविका दीदियों के बैंक खातों में सीधे तेज़ और अधिक पारदर्शी धनराशि हस्तांतरण सुनिश्चित होगा। इसे सुगम बनाने के लिए, 12,000 सामुदायिक कार्यकर्ताओं को टैबलेट से लैस किया जा रहा है। इस पहल से ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता विकास को मज़बूती मिलने और समुदाय-आधारित उद्यमों के विकास में तेज़ी आने की उम्मीद है। बिहार राज्य भर से लगभग 20 लाख महिलाएँ इस कार्यक्रम की साक्षी बनेंगी।
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