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Supreme Court allows Samajwadi Party to approach Allahabad High Court against eviction of Pilibhit District Office ann | कार्यालय खाली करवाए जाने की नगर निगम की कार्रवाई पर समाजवादी पार्टी से बोला सुप्रीम कोर्ट

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यूपी के पीलीभीत में समाजवादी पार्टी का जिला कार्यालय खाली करवाए जाने के मामले में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने कहा है कि 2020 में सपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष ने याचिका हाई कोर्ट से वापस ली थी. अगर पार्टी को कोई बात कहनी है तो हाई कोर्ट जाएं.

क्या है मामला?
2005 में राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार के रहते पीलीभीत नगर पालिका परिषद के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर का आवास मामूली किराए पर समाजवादी पार्टी को दे दिया गया था. पार्टी ने इसे जिला कार्यालय बनाया. 12 नवंबर 2020 को नगर पालिका परिषद ने इस आवंटन को नियम विरुद्ध बताते हुए निरस्त कर दिया. इसके बावजूद पार्टी ने कब्जा नहीं छोड़ा. अब जगह को खाली करवाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

जिलाध्यक्ष ने वापस ली थी याचिका
समाजवादी पार्टी के तत्कालीन जिलाध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने आवंटन रद्द होने के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट ने उनसे पूछा कि वह जिला कोर्ट में क्यों नहीं गए. इस पर एक दिसंबर 2020 को आनंद सिंह यादव ने हाई कोर्ट से याचिका वापस ले ली, लेकिन इसके बाद यादव या समाजवादी पार्टी की तरफ से जिला कोर्ट में कोई याचिका दाखिल नहीं हुई.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
समाजवादी पार्टी के लिए पेश वरिष्ठ वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आनंद सिंह यादव हाई कोर्ट के आदेश के कुछ समय बाद पार्टी के जिलाध्यक्ष पद से हट गए थे इसलिए वह अध्यक्ष की हैसियत से याचिका दाखिल नहीं कर सके. इस पर जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस प्रसन्ना वराले की बेंच ने कहा कि मामले में उचित कानूनी कदम पार्टी को उठाने चाहिए थे. अब इतने समय बाद आप सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. हम सुनवाई नहीं करेंगे. आपको जो कहना है हाई कोर्ट से कहिए.





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