Supreme Court on Bengal Violence: वक्फ संशोधन एक्ट पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने मुर्शिदाबाद हिंसा पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में लंबित रहते हुए ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि कानून की अच्छी बातें भी लोगों के सामने लाई जानी चाहिए.
तीन जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस ने जब हिंसा की घटनाओं का ज़िक्र किया, तब कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे दबाव की रणनीति बताया. मेहता ने कहा कि लोग सोचते हैं कि ऐसा करके वह व्यवस्था पर दबाव बना सकते हैं. वक्फ संशोधन कानून विरोधी याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मेहता की बात का विरोध किया. सरकार के कानून को गलत बता रहे सिब्बल ने कहा कि दबाव कौन बना रहा है? यह नहीं कहा जा सकता.
‘कानून की अच्छी बातें बताइए’
यह सभी बातें तब हुई जब दिन की सुनवाई पूरी कर बेंच उठ रही थी. चीफ जस्टिस ने दोनों वरिष्ठ वकीलों की बातों में दखल देते हुए कहा कि कानून में अच्छी बातें भी हैं. उन्हें लोगों के सामने लाने की कोशिश की जानी चाहिए. साफ तौर पर उनका इशारा इस ओर था कि लोग अगर कानून की सकारात्मक बातों को जानेंगे, तो उनका विरोध कम होगा.
जामा मस्जिद और अयोध्या का भी जिक्र
सुनवाई के दौरान कई दिलचस्प मौके आए. मौलाना अरशद मदनी के लिए पेश कपिल सिब्बल ने दिल्ली की जामा मस्जिद के भी वक्फ दर्जे को लेकर आशंका जताई. इस पर चीफ जस्टिस ने उनसे कहा कि जामा मस्जिद को कोई खतरा नहीं है. एक और याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अयोध्या मामले के फैसले का जिक्र किया. सिंघवी ने कहा कि उस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर का उल्लेख किया था, लेकिन अब वक्फ बाय यूजर को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. इस पर जजों ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में प्रिवी काउंसिल ने वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी थी, लेकिन यह सभी पहलू तब चर्चा में आएंगे जब विस्तृत सुनवाई होगी.