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US claiming that India is among several countries now planning to lower tariffs after impose 104 percent tariff on China

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US Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के कई देशों पर 2 अप्रैल को टैरिफ लगाने का ऐलान किया. इसके बाद से ही ट्रेड वार की स्थिति बनी हुई है. आज फिर अमेरिका ने चीन के इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर 104 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला लिया है. इस फैसले के बाद दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच ट्रेड वार शुरू हो गई है.

इसी बीच अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीर ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने दावा किया है कि भारत, अर्जेंटीना, वियतनाम और इजरायल जैसे देश अपनी तरफ से लगाए जाने वाले टैरिफ को कम करने की योजना बना रहे हैं. उनका यह बयान अमेरिकी सीनेट की वित्त समिति में दिया गया, जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को सही ठहराया.

जैमीसन ग्रीर के अनुसार इन देशों ने अमेरिकी प्रशासन से संपर्क कर टैरिफ को कम करने की इच्छा जताई है. इसका मतलब अगर अमेरिका टैरिफ कम करता है तो वे भी इसी नीति का पालन करेंगे. ग्रीर ने अमेरिका की तरफ से एग्रीकल्चर पर लगाए जाने वाले 5% टैरिफ की तुलना भारत के औसत 39% कृषि टैरिफ से करते हुए कहा कि इससे साफ पता चलता है कि कैसे गैर-पारस्परिक व्यापार नीतियां अमेरिका के लिए घाटे का सौदा बनती हैं.

टैरिफ को लेकर भारत का बदलता रुख
ग्रीर के अनुसार, भारत समेत कई देश अब ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को नीति को गंभीरता से लेते हुए टैरिफ को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 50 देशों ने ट्रंप प्रशासन के सदस्यों से संपर्क किया है. उन्होंने अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को बेहतर बनने में रुचि दिखाई है. भारत इस लिस्ट में एक महत्वपूर्ण नाम है क्योंकि यह अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है. इस तरह के टैरिफ नीतियों में बदलाव से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा.
 
ग्रीर ने आंकड़ों के जरिए दी जानकारी
ग्रीर ने आंकड़ों के जरिए बताया कि 1994 से अब तक अमेरिका ने 5 मिलियन नौकरियां और 90,000 फैक्ट्रीज खो दी हैं. कृषि क्षेत्र, जो कभी व्यापार का एक अहम हिस्सा था, अब घाटे में चला गया है. ऐसी स्थिति विशेष रूप से बाइडेन प्रशासन के अंतिम दो वर्षों के दौरान देखने को मिली है. ये सभी बदलाव एकतरफा टैरिफ, व्यापार बाधाओं और विदेशी प्रतिस्पर्धात्मक नीतियों का परिणाम हैं, जिससे अमेरिका को भारी नुकसान हुआ है.

यह केवल व्यापार रणनीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति भी
ग्रीर ने ट्रंप प्रशासन की नीति को केवल एक व्यापार रणनीति नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति भी बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका के तरफ से लगाए गए टैरिफ से दुनिया के कई देश अपने व्यापार नीतियों में सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें पता चल रहा है कि अमेरिका अब निष्क्रिय नहीं रहेगा. हम व्यापार में पारस्परिकता और निष्पक्षता की मांग कर रहे हैं. जैमीसन ग्रीर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियां अब वैश्विक स्तर पर असर दिखा रही हैं. 

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